हमारे भारत देश के सांस्कृतिक प्रतीक कौनसे है ? | What are the cultural symbols of our India?






हमारे भारत देश के सांस्कृतिक प्रतीक कौनसे है ? | What are the cultural symbols of our India?
       भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है और वो आज भी अमर है | मै यह इसलिए कह रहा हु क्योंकि प्राचीन संस्कृतियों में से मेसोपोटेमिया, रोम, मिस्र यूनान जैसी कई संस्कृतिया कालातीत होकर केवल कुछ अवशेष स्वरुप और गौरव गाथा गाने के लिए बची है किन्तु भारतीय संस्कृति आज भी अमरत्व का वरदान पाकर अपना महत्व कायम रखी हुयी है और अपनी सर्वांगीणता, विशालता, उदारता, प्रेम और सहिष्णुता के कारण पुरे विश्व का जगद्गुरु होने का स्थान ग्रहण कर चुकी है।
भारतीय संस्कृति में कुछ सांस्कृतिक प्रतीक है जो हमे सिखाते है, प्रेरणा देते है, कुछ संकेत देते है इनके संकेतों की श्रुंखला हजारों सालों से चली आ रही है और कुछ नए प्रतिक भारतीय संस्कृति में स्थापित हुए है| भारतीय संस्कृति के कुछ प्रतीकों के बारे में हम इस लेख में चर्चा करेंगे |   
शिव
     जिव की उत्पति का सम्बन्ध शिव से है | सभी जीवों का पालन पोषण और विनाश का कार्य शिव द्वारा स्थापित किया गया है ऐसा माना गया है | शिव को सृष्टी के आदिकालीन देवता माना गया है ब्रम्ह, विष्णु, इंद्रादी देवताओं की उत्पति शिव ने ही की है| शिव का ज्योतिर्लिंग स्वरूप विश्व निर्मिती में आदिदेव होने का प्रमाण है | हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथो में शिव के जितने नाम है, उतने शायद ही किसी अन्य देवता के हो| इससे यह स्पष्ट हो जाता है की शिव भारतीय जनमानस में एक लोकप्रिय देवता है | शिव के शिवम् में सभी प्राणीमात्र के कल्याण और हित की भावना है| शास्त्र कारोने शिव को कल्याण का दिव्य स्वरुप माना है, कलाकारोंने शिव को कला की दिव्य मूर्ति और संगीतज्ञों ने नटराज के रूप में वंदना की है | वैदिक युग से लेकर आजतक भारतीय जीवन शिवमय है | भारतीय चिंतन, दर्शन, साहित्य कला, लोकपरम्परा में शिव इतने घु मिल गए है कि उन्हें अलग नहीं किया जा सकता

कमल

      कमल यह हमारा राष्ट्रीय फुल है और वह हमारे संस्कृतिका एक प्रधान प्रतिक है | मैंने उपर अपनी छोटीसी प्रस्तावना में कहा था की हमारे संस्कृति के प्रतिक हमें प्रेरणा देते है कुछ सिखाते है कमल कहाँ खीलता है इस बात पर ध्यान दे तो पूरी बात हमें समज में आएगी | अलिप्तता यह कमल का विशेष गुणधर्म है जो पानी में रहकर भी पानी से अलिप्त है और कीचड़ में खिलकर भी अवांछनिय तत्वों से दूर है इसलिए वे अपनी मादक सुगंध और कोमल सुन्दरता से सभी पुष्पों में उच्च स्थान रखा हुआ है| कमल पुष्प का मुंह सूर्यप्रकाश की ओर होता है प्रकाश आने पर ओ खिलता है और प्रकाश जाने पर ओ मुरझा जाता है प्रकाश कमल का प्राण होता है ठीक वैसे भारतीय संस्कृति प्रकाश की उपासक है|  अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो कमल को असाधारण महत्व है, ब्रम्हा की निर्मिती विष्णु की नाभिकमल से हुयी है और ब्रम्हाजी कमल पर विराजमान है, धन की देवता लक्ष्मी कमल पर विराजमान है इसी कारन उन्हें पद्मिनी, पद्मावती, पद्माक्षी आदि नामों से संबोधित किया गया है| भगवान विष्णु के हाथ में कमल पुष्प विराजमान है, ईश्वर के अवयवों को कमलनयन, कमलवदन, चरणकमल, करकमल, पदकमल, ह्रदयकमल आदि नामों की उपमा दी गयी है | बौद्ध और जैन धर्म में भी कमल का अनन्यसाधारण महत्व है | भारतीय प्राचीन कलाकृति, साँची स्तूप आदि पर कमल चिन्ह अंकित किये गए है | भारतीय योगशास्त्र में भी कुंडलिनी शक्ति का मूलाधार षटचक्र की और सहस्रचक्र की परिकल्पना कमलवत है| ज्ञान के प्रकाश की ओर उन्मुख होकर आत्मोन्नति की प्रेरणा, अवांछनिय तत्वों से वांछनीय तत्व लेने की प्रेरणा, तपस्या की प्रेरणा, सत्कर्म की प्रेरणा यह कमल पुष्प हमे देता है |

दीपक

      पुरे विश्व के सांस्कृतिक एवम सामाजिक जीवन में दीपक का एक विशिष्ट स्थान है | भारतीय संस्कृतिक जीवन में दीपक का महत्वपूर्ण स्थान ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ इस भारतीय संस्कृति की आरती में समाया है | सूर्य और अग्नि का अंश दीपक में समाया है भारतवर्ष में दीपोस्तव की परम्परा सदियों से चली आ रही है | धार्मिक, सांस्कृतिक उत्सव, त्यौहार एव जन्म लेकर मृत्यु तक, हमारे जीवन में दीपक का महत्व अक्षुण्ण है | ईश्वर की पूजा से लेकर हर उत्सव आनंद में उसे हमने महत्व पूर्ण स्थान प्रदान किया है हमारे हर सांस्कृतिक, सामजिक, क्षणिक कार्यक्र्मो की शुरुवात हम दीप प्रज्वलन से ही करते है| भारतीय सांस्कृतिक जीवन में ही नही बल्कि पुरे विश्व में अविरत साधना, तपस्या, आराधना, ज्ञान, उल्हास का प्रतिक दीपक है |

     समस्त सृष्टी ॐ कार मय है| ॐ शब्द तो इस सृष्टी में धर्मो के निर्माण से पूर्व से ही है इसलिए इसे केवल एक धर्म की निशानी मानना पर्याप्त नहीं होगा हिन्दू धर्म के चारों वेद, शास्त्र, पुराण ग्रन्थ, मन्त्र की शुरवात ही ॐ शब्द से है, यही ॐ ईसाई और यहूदीयों में आमेन है, मुस्लिमो में आमीन है, बौद्ध धर्म में ओं मणिपद्मे हूं  है, शिख में एक ओंकार है, अंग्रेजी शब्द omni  ॐ से ही निर्मित है (omni- omniscient, omnipresent, omnipotent अर्थात सर्वज्ञ, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान ) इसीलिए ॐ विश्वव्यापी है | हमारी चलने वाली सांसे भी ॐ से प्रभावित है, आप अपनी चलने वाली सांसो के उपर आपका पुरा ध्यान केंद्रित कीजिये इसका अनुभव आपको खुद को ही हो जायेगा | ॐ यही ईश्वर का नाम है, समस्त शब्दों का सार, समस्त स्वर, समस्त वाङमय, समस्त वेद कार में समाये है | सत्यम, शिवम, सुंदरम का उद्घोष है,  अत: मानवी जीवन का शाश्वत, कल्याणकारी, अध्यात्मिक लक्ष्य का ध्यान करके आत्मसाक्षात्कार द्वारा अपने जीवन को कार मय बनाके में विलीन करना है |

नारियल

             भारतीय सांस्कृतिक, सामाजिक जीवन में नारियल को बड़ा महत्व है | ईश्वर की पूजाविधि में, मंदिरों में नारियल चढाया जाता है, नारियल हमें ईश्वर के प्रति समर्पण भाव सिखाता है काम, क्रोध, लोभ रूपी  जटा निकालकर, मोह, माया, का कवच फोड़कर मृदुता का शुद्ध भक्ति भाव ईश्वर को अर्पण करना चाहिए ये नारियल हमें सिखाता है | विवाहादी मांगलिक अवसर, शुभ प्रसंगों में व्यक्तियों को नारियल भेट देने की परंपरा हमारे यहाँ सदियों से चली आ रही है | धार्मिक विधियों के मंगल कलश में नारियल प्रस्थापित है, इसके अलावा इसका आयुर्वेदिक गुणधर्म भी महत्वपूर्ण है |

सुर्य

     भारत में प्राचीन काल से ही सुर्य उपासना चली आ रही है उपनिषदों में सुर्य को ईश्वर का चैत्यन्यमय प्रतिक माना गया है इसलिए उन्हें सुर्यनारायण देवता भी कहते है | सुर्योदय से फल फुल खीलने लगते है, पक्षी मधुर कलरव करने लगते है, सम्पूर्ण मानवजाती का जीवन व्यवहार सुर्योदय से शुरू होता है | सुर्योदय - सुर्यास्त से ईश्वर की विश्व चालना की कल्पना सुर्य से हमे प्रतीत होती है |

श्री

     श्री शब्द में आदरयुक्त भाव है, दूसरों के प्रति सम्मान है इसलिय हम नाम लिखने से पूर्व उसके आगे श्रीमान श्रीमती लिखते है | इतना आदरयुक्त भाव मिस्टर एंड मिसेस में नहीं दिखता |

स्वस्तिक

          भारतीय संस्कृति में स्वस्तिक चिन्ह का बहुत बड़ा महत्व है | शुभ, धार्मिक, मांगलिक कार्यो में स्वस्तिक चिन्ह बनाया ही जाता है | स्वस्तिक का मतलब सबका शुभ हो, सबका भला हो, सबका कल्याण हो ऐसा स्वस्तिक चिन्ह का भाव है |     

शक्ति

         आदिशक्ति, जगत्जननी की ५२ शक्ति पीठों का वर्णन हमारे पुराण ग्रंथो में मिलता है और उसकी पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है | सृष्टी के सृजन कार्य में नारी का महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए नारी को शक्ति स्वरुप माना गया है | माता का बहुत बड़ा स्थान हमारी सांस्कृतिक सभ्यता में है इसलिए अपने देश को भारतमाता पुकारने का एकमेव उदाहरन पुरे विश्व में केवल भारतीय संस्कृति में देखने को मिलता है |


चरण स्पर्श   

        गुरुजनों का आदर करना, बड़ों का सम्मान करना यह परंपरा तो भारतवर्ष में सदियों से चली आ रही है | हमारी यही परंपरा हमे, ईश्वर की चरणों में लीन होना, संतचरणरज की अपेक्षा करना,  माता पिता की चरणों की सेवा करना, ये सौभग्य हमें प्रदान करती है |
                        
              उपर दिए गये सभी सांस्कृतिक प्रतीकों के अलावा गणेश, गुरु, मंगलघट, माला, घंटी, यज्ञोपवीत, यज्ञ, रुद्राक्ष, त्रिशूल, डमरू, वटवृक्ष, तुलसी, तिलक, परिक्रमा, गाय, हाथी, पिपलवृक्ष, दूर्वा, चन्द्रमा, शंख, हल्दी ऐसे कई सारे सांस्कृतिक प्रतिक है जो हमारे सांस्कृतिक जीवन को प्रेरणा देते है हमें कुछ सिखाते है | मेरी लेखन सीमा के कारण इन प्रतीकों का विवेचन मै नहीं कर रहा हूँ अगर आप इनके बारे में जानना चाहते है तो मुझे comment में जरुर लिखे मै आपको इनके बारे में और जानकारी देने का प्रयास करूँगा| आगे हमे कुछ आधुनिक सांस्कृतिक प्रतीकों पर एक दृष्टिक्षेप डालना है |

आधुनिक सांस्कृतिक प्रतीक 


तिरंगा – हमारे भारत देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हमें सर्व धर्म समभाव की प्रेरणा देता है |
राष्ट्रगीत - हमारे भारत देश का राष्ट्रीय गीत हमें हमारी विविध परंपरा होने के बावजूद भी हमे राष्ट्रीय एकता के  धागे में बांधे रखने का कम करता है |
हमारे देश का राष्ट्रीय पशु बाघ शक्ति, फुर्ती और राष्ट्रीय पक्षी मयूर सुन्दरता का प्रतिक है | इनके अलावा हमारे देश का  राष्ट्रीय फल आम, राष्ट्रीय खेल हॉकी, राष्ट्रीय वृक्ष बरगद, राष्ट्रीय प्रतीक  सिंहमुद्रा, भारत की राष्ट्रीय मुद्रा इन सब के बारे में तो आपको पता है यही राष्ट्रीय प्रतिक हमारे आधुनिक सांस्कृतिक जीवन के प्रतिक बन गए है | भारतीय संस्कृति दिन ब दिन बढती जा रही है, नए तत्वज्ञान आ रहें है इसलिए नए प्रतीकों का जन्म लेना तो अपरिहार्य है |
            हमारे सांस्कृतिक प्रतीकों को देखने की समजने की सखोल दृष्टी आ गयी तो ओ चिन्ह, ओ वस्तु, ओ क्रिया, हमें अर्थपुर्ण लगने लगती है, अपने आप में आनंद देती है | अगर हमें भारतीय संस्कृति के बारे में जानना है, उसके अंतरंग को देखना है तो हमें सखोल दृष्टी की आवश्यकता है क्योंकि इसी दृष्टी से हमारी भारतीय संस्कृति के अंतरंग हमें त्याग की ज्वाला से निखारकर आगे आये हुए,  पवित्रता से सजे हुए, प्रेम से फुले हुए, ज्ञान से अलंकृत, माधुर्य से भरे हुए, उत्साहित, आनंद से भरे हुए नजर आयेंगे | 

उपर दी गयी जानकारी अगर आपको अच्छी लगी तो आपकी प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहें गी |

इसे भी पढ़े : खुद को झुमने पर मजबूर कर देने वाला सिद्दी धमाल लोकनृत्य | Siddhi Dhamaal folk dance







कोई टिप्पणी नहीं:

If you have any doubts, Please let me know

Blogger द्वारा संचालित.