Folk Dance of Arunachal अरुणाचल प्रदेश के लोकनृत्य

                                    

अरुणाचल प्रदेश के लोकनृत्य 

Folk Dance of  Arunachal 

    अरुणाचल प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है और हप अपनी लोकनृत्य शृंखला की शुरुवात अरुणाचल प्रदेश के लोकनृत्यों से करेंगे | अरुणाचल(अरुण=सूरज+अचल=पर्वत) का मतलब उगते हुए सूरज का प्रदेश अपनी समृद्ध प्रादेशिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहाँ लगभग सवा सौ जनजातियों मे अलग लोकनृत्य देखने को मिलते है | यहाँ के लोकनृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि यह अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं को भी दर्शाते हैं। 
    

अरुणाचल प्रदेश के लोक नृत्य कौन से हैं?What are the folk dances of Arunachal Pradesh?

अरुणाचल प्रदेश के  जनजातियों में विविध प्रकार के लोकनृत्य प्रचलित हैं। ये नृत्य अलग-अलग अवसरों पर किये जाते हैं। आनुष्ठानिक नृत्य, मनोरंजन नृत्य, मुखौटा नृत्य और नृत्य नाटिका   आदि नृत्य श्रेणी मे यहा के लोकनृत्य देखने को मिलते है | विभिन्न प्रकार के पूजा-अनुष्ठानों के अवसर पर आनुष्ठानिक नृत्य किये जाते हैं। यह नृत्य विवाह के अवसर पर भी किया जाता है। कोई व्यक्ति अगर मर जाए तो उस मृतात्मा के शांति के लिए नृत्य करने की परंपरा यहा देखने को मिलती है ऐसी मान्यता है की इस समय नृत्य करने से परिवार का कल्याण होता है | अरुणाचल प्रदेश के कुछ प्रमुख जनजातियों द्वारा किए जाने वाले लोक नृत्य

Folk Dance of  Arunachal



अरुणाचल की प्रमुख जनजातियों के लोक नृत्य - 

1.आदी - पोनुंग नृत्य, इलोंग नृत्य, देलोंग नृत्य, सोलुंग नृत्य, लुमान पोनुंग नृत्य ।
2. गालो - तानुनुनाम नृत्य, पोपीर पोलुंग नृत्य, मर्दा परिक्रनम्
3. न्यीशी - बुइयान नृत्य, रोपी नृत्य, नारथोन नृत्य ।
4. हिलमिरी - बोयेन नृत्य, पोजुक नृत्य, नीतिन नृत्य, पोनुंग नृत्य।
5. तागिन - कोइनीरेतो नृत्य, निबुतामु नृत्य ।
6.मिजी - जेई नृत्य, धीरोमिजीह उत्सव और नृत्य, दोम्मादई निवाई उत्सव और नृत्य।
7.आका - निउकसिदोऊ नृत्य, दोगोहदोउ नृत्य, फाचोसुम उत्सव और नृत्य।
8. आपतानी- अमुअलु नृत्य, ताकतामो तथा हुरूखान्दु नृत्य, रोपी नृत्य।
9.खोवा- क्लोवन नृत्य, गासिसिउ नृत्य, चासोइ उत्सव और नृत्य ।
10. नोक्ते - ओरांग त्योहार और नृत्य, हुम्होंबुओंग नृत्य, मांगबुओंग नृत्य, रंगलोह लोकु और चालोह लोकु त्योहार एवं नृत्य, सामचुमिन त्योहार और नृत्य, देमोहचोंग उत्सव एवं नृत्य, पांगतु त्योहार और नृच।
11. तांग्सा - सापोलोरो, शम्मा उत्सव और नृत्य।
12.सिंहफो - मांगलुप उत्सव और नृत्य, काखंग नृत्य, वोइगप नृत्य, माम्यु कापुं काखंग नृत्य, दोंगसो मेन्यु नृत्य ।
13.खाम्ती- का फिफाई नृत्य नाटिका, का मुकचु नृत्य नाटिका, का कोंगटुकाई नृत्य, चोउलिउचियेन नृत्य नाटिका।
14.दिगारू मिशमी - बुइया नृत्य, नुइया नृत्य ।
15.वांचो - हाम्बोवशोन नृत्य, डोंगथांग्पु नृत्य,  गालांग्पु नृत्य।
16.खाम्पा - त्रोह नृत्य, पैण्टमाइम नृत्य ।
17. मेंबा -ब्रोह नृत्य, बारडो पैण्टमाइम ।
18.मोंपा- पेण्टमाइम नृत्य, अजिलामु पैण्टमाइम, याक पैण्टमाइम, हिरण पैण्टमाइम, ब्रोह नृत्य, किएंगपा नृत्य, फॉ चाम, जाम चाम, अराकाचो चाम, शिया चाम, किएह चाम, दत्त चाम, गालोंग चाम ।
19.शेरदुक्पेन-  अजीलामु पैण्टमाइम, जीजीसुखाम या याक पैण्टमाइम, जीक चाम, जाचुंग चाम या पक्षी पैण्टमाइम, किइंग्पा नृत्य, ब्रोहपु नृत्य।


पोनुंग नृत्य Ponung dance of Arunachal Pradesh

अरुणाचल प्रदेश के आदि जनजाति में पोनुंग नृत्य महिलाओं द्वारा उत्सव, त्योहारों मे किया जाता जाता है | महिलायें गोलाकार घेरा बनाते हुए नृत्य करती है पुरुष भी इसमे कभी कभी भाग लेते है | मुख्य पुरुष गायक को ‘पोनुंग मिरी आबू’ तथा मुख्य स्त्री गायिका को ‘पोनुंग मिरी आने’ कहते है | कड़ी मेहनत तथा लंबे अभ्यास के बाद ही कोई मुख्य गायक बन सकता है |

  अजिलामु पैण्टमाइम

मोंपा जनजाति द्वारा किया जाने वाला अजिलामु पैण्टमाइम नृत्य को लेकर एक मिथ प्रचलित है | नदी किनारे बसे हुए दो गाव उनमे आपसी रिश्ते-नाते बनाने के लिए तथा आपस मे मिल-जुल बढ़ाने  के लिए दो गाओं के बीच पुल बनाने के लिए चैपज वांगपु इन बौद्ध भिक्षु द्वारा प्रयास किया गया | पुल के निर्माण कार्य के समय लोगों में उत्साह बनाए रखने के लिए अजिलामु पैण्टमाइम नृत्य का आयोजन किया गया यह कथा इस नृत्य के मूल मे प्रचलित है | यह नृत्य मूकाभिनय, मुखोटा तथा नृत्य नाटिका के रूप मे भी प्रचलित है |

रोपी नृत्य What is Roppi folk dance of Arunachal Pradesh?

न्यीशी  जनजाति मे किया जाने वाला रोपी नृत्य वीरता का प्रतीक है | युद्ध मे या शिकार करने के बाद हर्षोल्हास मे किए जाने वाला यह नृत्य है |  

बुइया नृत्य, नुइया नृत्य 

दिगारू मिशमी इस जनजाति मे बुइया नृत्य तथा  नुइया नृत्य किया जाता है | नुइया नृत्य धार्मिक अधिष्ठान हेतु होता है तथा बुइया नृत्य मनोरंजन हेतु किया जाता है |

जुजू जाजा नृत्य 

अरुणाचल प्रदेश का यह लोकनृत्य भारत मे होने वाले विविध सांस्कृतिक उत्सव महोत्सव मे अपनी प्रस्तुती देते  हुए देखने को मिलता  है | 'जुजू जाजा यामिन जा' ऐसे इस नृत्य गीत के बोल है | 

  अरुणाचल प्रदेश में सांस्कृतिक विरासत का संवर्धन करने वाली अनोखी अलग- अलग लोक नृत्य परंपरा देखने को मिलती है | भारत की विशाल समृद्ध परंपरा की लोककला, लोकनृत्य, इनके बारे मे और जानने का प्रयास हमसे लगातार चलता रहेगा | आपकी प्रतिक्रिया के लिए हमे जरूर संपर्क करे |

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