दिमडी- महाराष्ट्र का लोकवाद्य | Dimdi- Membranophonic folk instruments of Maharashtra

दिमडी:

    दिमडी यह महाराष्ट्र के लोक देवता खंडोबा के जागरण इस विधिनाट्य में खंडोबा के उपासक वाघ्या, इनके द्वारा बजाया जाने वाला  लोकवाद्य है। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के वर्गीकरण के अनुसार, यह वाद्य अवनध्द इस वाद्य वर्गीकरण श्रेणी में आता है |  लकड़ी की चार से पांच इंच गोल रिंग पर बकरे का चमड़ा खिंचकर मढ़ा जाता है इस खिंचाव के कारण इस मे से ध्वनि उत्पन्न होती है।
Dimdi- Membranophonic folk instruments of Maharashtra

दिमडी की रचना: 

 दिमडी  का व्यास लगभग 15 सेमी है। ऊंचाई चार से पांच इंच है। गोल लकड़ी  अंदर की तरफ़ छोटी हो जाती है मतलब हांथों के पकड़ने के बाजु से लेकर बजाने वाली साईड तक छोटी हो जाती है | चिपचिपे पदार्थ की सहायता से लकड़ी की गोल रिंग       
dimdi folk instruments, दिमडी
  दिमडी | dimdi 

पर चमड़ा चिपकाया जाता है| यह चमड़ा, बकरी की खाल का इस्तेमाल किया जाता है | पहले इस पर जंगली छिपकली का चमड़ा भी लगया जाता था  लेकिन हाल के दिनों में, जंगली जानवरों के शिकार और त्वचा पर प्रतिबंध के कारण जंगली छिपकली  की खाल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।  दिमडी को स्वर के लिए उपर निचे करने के लिए दीप पर  गर्म किया जाता है गर्म करने के कारन वह उंचे स्वर में बजती है अगर ज्यादा गर्म हो गयी तो स्वर थोडा निचा करने के लिए थोडासा पानी का   छिडकाव  करते है क्योंकि उसका स्वर थोडा निचा हो जाये | अब के दिनों में  पारंपरिक कलाकार को छोड़कर व्यावसायिक कलाकार  दिमडी के चमड़े को  लकड़ी की रिंग में चिपकाने के बजाय उसको स्क्रू में फिट करने लगे है क्योंकि
dimdi folk instruments of maharashtra, दिमडी
 दिमडी स्क्रू वाली   | dimdi 
दिमडी  के वादन के लिए स्वर उपर निचे करने में आसानी हों और दिमडी एक ही स्वर में बजती रहें |

 दिमडी में बजने वाले ताल:

 दिमडी में बजने वाले ताल केहरवा, दादरा आदि ताल बजते है | अगर हम लोकसंगीत के बारे में देखा जाये तो लोकसंगीत जनमानस की अभिव्यक्ति है| लोकसंगीत में बजने वाली ताल दादरा, कहरवा, रूपक आदि होती है | यदि किसी लोककलाकार को  दिमडी के ताल या ठेका इसके बारे में पूछा जाये तो वह गुब्की ठेका, सिंगल ठेका, डबल ठेका ऐसी अपनी परम्परागत परिभाषा में ही ठेकों के वर्णन करेगा लेकिन जानकार सिखा हुआ बजाने वाला इसके तालों के बारे में बातएगा | 

 दिमडी बजाने वाला कलाकार:

                दिमडी बजाने वाला जो पारम्परिक लोककलाकार है उसे वाघ्या कहते है जो खंडोबा देवता का उपासक होता है और खंडोबा देवता के उपासना गीतों में  दिमडी बजाता है | यह उपासना गीत खंडोबा देवता की उपासना में किया जाने वाला विधीनाट्य है 'जागरण' इसमे गए जाते है | ' जागरण'  विधीनाट्य यह महाराष्ट्र की लोकपरम्परा है इसके बारे में मै आपको अलग से विस्तार में  बताऊँगा फ़िलहाल हम जागरण में बजनेवाले दिमडी इस वाद्य के बारे में ही चर्चा करेंगे | 

दिमडी वाद्य का अन्यत्र प्रयोग:

        दिमडी वाद्य का प्रयोग ' जागरण'  विधीनाट्य  के अलावा बहुत सारे फ़िल्मी गीतों में भी हुआ है और होता है क्योंकि दिमडी इस परंपरागत लोकवाद्य ने अपने ध्वनि से फ़िल्मी संगीत को भी मोहित कर लिया है इसके अलावा बहुत सारे लोकगीत, सांगीतिक प्रोग्राम में भी यह वाद्य प्रयुक्त होता है |

दिमडी वाद्य की एक झलक:



दिमडी जैसे अन्य वाद्य:

                दिमडी जैसा ही एक वाद्य है जो दक्षिण भारत के शास्त्रीय संगीत में प्रयुक्त होता है उसे खंजीरा कहते है | खंजीरा यह वाद्य दिमडी के आकार से थोडा  बड़ा होता है दोनों वाद्य में मूल फर्क तो यही है की  दिमडी वाद्य लोकसंगीत में प्रयुक्त होता है और  खंजीरा वाद्य शास्त्रीय संगीत में  प्रयुक्त होता है, खंजीरा वादन  शास्त्रीय वादन परंपरा पर आधारित है और दिमडी  वादन लोकसंगीत की परंपरा पर आधारित होता है, ऐसा नहीं की दिमडी पर  शास्त्रीय वादन नहीं हो सकता लेकिन उसका परंपरागत ढांचा लोकसंगीत से जुडा हुआ है   | पश्चिम बंगाल में बजाये जाने वाला वाद्य 'डागोर' यह वाद्य भी दिमडी वाद्य जैसा ही है 'डागोर' यह वाद्य पश्चिम बंगाल के लोकसंगीत, भक्तिसंगीत में प्रयुक्त होता है |

उपर दी गयी जानकारी अगर आपको अच्छी लगी तो आपकी प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहें गी |

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