पंजाब राज्य के लोकवाद्य | folk Instruments of Panjab

       
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पंजाब के लोकवाद्य / folk instruments of panjab
     पंजाब यह भारत के उत्तर पच्छिमी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण राज्य है | पंजाब का जब नाम लिया जाता है तब सब के दिल में वहा का लोकप्रिय लोकनृत्य भांगड़ा और उसमे बजने वाला ढोल की आवाज मन ही मन में गूंजने लगती है और हर कोई उसपर झुमने लगता है | पंजाब का यह लोकनृत्य केवल भारत में ही नही बल्कि पुरे विश्व में अपनी अलग शैली के कारण मशहूर है | पंजाब में भांगड़ा के अलावा गिद्दा, झुमर, भांड, डफ, नकाल जैसे कई सारे लोकनृत्य और लोकनाट्य है जिसमे लोकवाद्यों का महत्वपूर्ण स्थान है | किसी भी राज्य के लोकसंगीत में लोकवाद्योंकी अहम् भूमिका होती है तो जानते है पंजाब के लोकवाद्य के बारे में.  ⏩

  1. ढोल (Dhol):  

   
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ढोल / Dhol
             ढोल या जिसे पंजाबी ढोल कहते है यह पंजाब का एक प्रमुख लोकवाद्य है जो भांगड़ा इस लोकनृत्य में बजाया जाता है | यह वाद्य अवनध्द वाद्य (Percussion Instruments, Membranophone) इस वाद्यशास्त्रीय वर्गीकरण के श्रेणी में आता है | वैसे तो ढोल के उसकी साइज के अनुसार और प्रान्त के अनुसार अलग नाम है सभी ढोल वर्गीय वाद्योंको अंग्रेजी में Drum कहाँ जाता है | जिसे पंजाबी ढोल कहाँ जाता है वह हरयाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, लगभग उत्तर भारत के बहुत सारे प्रान्तों में  और पाकिस्तान  के पंजाब प्रान्त में भी बजाया जाता है | ढोल की लगभग hight 23 से 24 इंच होती है , ढोल के दोनों मुख की गोलाई कम से कम 12 से 13 इंच की होती है |(यह हस्तनिर्मित वाद्य होने के कारण साइज़ में थोड़ा-बहोत फर्क आ सकता है) एक मुख जिसे चाटी (Treble side)  कहाँ जाता है और एक मुख जिसे  बाया ( bass side ) कहाँ जाता है |   ढोल के दोनों मुख पहले चमड़े के होते थे आधुनिक काल में इसमे परिवर्तन आ गया है ये अब प्लास्टिक में मतलब जो विदेशी Drums वाद्यों में जिस स्किन का इस्तेमाल होता है  वो स्किन लगाई जाती है | दोनों मुख आपस में जोड़े रखने के लिए सूत की रस्सी का उपयोग  होता था अब इसमे भी परिवर्तन आ गया है रस्सी की जगह स्क्रू नटबोल्ट का  प्रयोग होता है | ढोल दो लकड़ीयोंके छड़ी से बजाया जाता है उसमे bass side को बजाने वाली  छड़ी लगभग 10 मिमी व्यास की बेंत की    होती है जो ढोल पर प्रहार करने वाले सिरे पर एक चौथाई गोलाकार चाप में मुड़ी होती है और Treble side पर बजायी जाने वाली छड़ी पतली और लचिली होती है |  ढोल रस्सी या पट्टा की सहायता से गले में लटकाकर खड़े रहकर बजाया जाता है| ढोल यह पारंपरिक लोकवाद्य है इसकी वादन शैली परंपरा से जुड़ी है लेकिन वर्तमान में ऐसे कई सारे ढोल वादक है जिन्होंने पारंपरिक ढोल वादन को शास्त्रीय बैठक प्रदान की है |

2. ढोलक (Dholak): 

     

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ढोलक / dholak
 
       अगर देखा जाये तो ढोलक यह वाद्य उत्तर भारत के सभी प्रान्तों में लोकसंगीत में प्रयुक्त होनेवाला  मशहूर वाद्य है | संगीत क्षेत्र में कार्यरत लगभग सभी विद्वान् , अनुसंधानकर्ता इनका मानना है की, वैदिक काल में प्रयुक्त होने वाला पटह इस वाद्य का परिवर्तित रूप ढोलक में समाया है | ढोलक यह एक अवनध्द वाद्य (Percussion Instruments, Membranophone)  है | ढोलक का प्रचलन पुराने ज़माने से चला आ रहा है पंजाब के लोकसंगीत में यह वाद्य लोकगीत तथा नृत्यों में प्रयुक्त होता है चाहे वो शादी के गीत हो या गिद्दा ढोलक का उसमे होना अनिवार्य है | एक बात यहाँ पर मै बताना चाहूँगा की, ढोलक को पंजाब में ढोलकी के नाम से पुकारा जाता है लेकिन ढोलकी यह महाराष्ट्र राज्य का एक अलग लोकवाद्य है उसे जानने के लिए इस आर्टिकल को भी पढ़िए → महाराष्ट्र का लोकप्रिय लोकवाद्य- ढोलकी 

3. तुम्बी (Tumbi):

       
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तुम्बी / Tumbi
     
       तुम्बी यह पंजाब का एक लोकवाद्य है जो तार/ततवाद्य (String Musical Instruments, Chordophone) इस वाद्य वर्गीकरण के श्रेणी में आता है | यह वाद्य भांगड़ा इस लोकनृत्य और पंजाबी लोकसंगीत में प्रयुक्त होता है | तुम्बी को बनाने के लिए कद्दू, बास की लकड़ी, बकरी का कमाया हुआ चमड़ा, तार, लकड़ी की खूंटी आदि सामग्री इस्तमाल होती है | तुम्बी की लगभग hight 20 से 21 इंच तक होती है यह वाद्ययंत्र हाथ से बनाया जाता है तो hight, size, में थोड़ा बहुत फर्क होता है | यह वाद्य पंजाब के प्रसिद्ध लोककलाकार गायक लाल चंद यमला जट्ट ने बनाया है | 1950-60 से लेकर अबतक यह वाद्य पंजाब के लोकसंगीत  को सजा रहा है | एक तार वाले तंतु वाद्योंकी की एक अलग ही खासियत होती है की एक ही तार पर सात सुरों को निर्माण होता है, मतलब गानेवाला, भाषण देनेवाला(गायनशैली) तार को अपनी गायकी नुसार उसे tune करता है | अपने भारत देश के कई सारे ऐसे एकतार वाले तंतुवाद्य है जिसमे महाराष्ट्र का तुनतुना पंजाब की तुम्बी पच्छिम बंगाल का बाऊल, एकतारी,  जैसे तंतुवाद्य लोकसंगीत में स्वरवाद्य का काम कर रहे हैं।

4. चिमटा (chimta) :

          चिमटा यह वाद्य घनवाद्य (Idiophone, brass jingles) इस वाद्य वर्गीकरण श्रेणी में आता है| सूफी- फ़क़ीर, नाथ संप्रदाय के साधू  इनके भक्तिसंगीत में चिमटे का प्रमुखता से प्रयोग होता है | पंजाब के लोकसंगीत जैसे की, भांगड़ा लोकनृत्य, धार्मिक संगीत, गुरबानी कीर्तन इन सब पंजाबी लोकविधाओं में चिमटा इस वाद्य का उपयोग ताल के लिए होता है |

5.साप/चिक्का (Sapp /Chikka)

   
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साप, चिक्का / saap, chikka

        साप या जिसे चिक्का भी कहाँ जाता है ऐसा एक अनोखा वाद्ययंत्र पंजाब के भांगड़ा, गिद्दा जैसे लोकनृत्य में प्रयुक्त होता है | इसमे लकड़ी की पट्टियाँ स्क्रू की सहायता से एक दुसरे को जुडी होती है, दोनों हाथों से खिंचकर एक दुसरे से टकराकर बजाने से इसमे से ध्वनी निकलती है | गरबा नृत्य में 10 लकड़ी की डांडिया टकराने से जितनी ध्वनी निकलती है उतनी ध्वनि तो इस एकेले साप वाद्य से निकलती है | भांगड़ा नृत्य में ढोल, चिमटा इन वाद्यों के साथ साप वाद्य की ध्वनी अपनी ताल से और मिठास भर देती है |
         उपर दिए गए वाद्यों के अलावा कई बहुत ऐसे वाद्य है जो पंजाब के लोकसंगीत में अपना एक अलग ध्वनि सौंदर्य बनाये हुए है उनमे प्रमुखता से-
6. अलगोजा जिसे पंजाब में वंझली के नाम से भी जाना जाता है
7. सारंगी 
8. इकतारा
10. काटो 
11. ढड
12. घड़ा
13. मंजिरा
14. घुंगरू
15. बीन
           आदि वाद्य पंजाब के लोकसंगीत में प्रचलित है | लोकसंगीत हमारी सांस्कृतिक एवं सामाजिक एकता बनाए रखने में सहायक होते है, इनका अब हनन हो रहा है | इसके लिए हमें इसका संरक्षण एवं संवर्धन करना  हमारा परम कर्तव्य है |
        Folk Arts India के माध्यम से लोककला लोगों तक इस परियोजना का निर्माण blog के माध्यम से कर रहा हु| अगर आपको उपर दी गयी जानकारी अच्छी लगी तो आपके अभिप्राय की अपेक्षा रहेगी |

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