Assamese musical instruments आसाम राज्य लोक वाद्य यंत्र

असमिया लोक संगीत वाद्ययंत्र कौनसे है ?

 

                हमारे देश की विशाल, समृद्ध और विविधांगी लोकसंस्कृती में, भारत के पुर्वोतर राज्यों में आसाम (असम) यह एक महत्वपूर्ण राज्य है | भारत का हर एक राज्य अपने एक अलग खान-पान-गान की विशेषता रखता है | असम के बागानो की चाय पुरे देश में मशहूर है और असम का बिहू नृत्य तो पुरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है | बिहू नृत्य में सभी भाग लेते है वसंत ऋतू में शुरू होने वाला बिहू का त्योहार लगभग एक महिना चलता है | इसके अलावा बोडो समुदाय का बगरुंबा नृत्य, कार्बी समुदाय का छोमडकन नृत्य अत्यंत लोकप्रिय है | Music of Assam या जिसे असम का संगीत कहे उसने अपनी प्राकृतिक विशेषता के कारण अपनी एक अलग पहचान बनाई है | Music of Assam इस शब्द के उच्चार से ही संगीत प्रेमी के मन में असामी ढोल, गोगोना और पेपा की आवाज गुंजने लगती है | श्रीमन्त शंकरदेव इनका आसाम के लोकसंगीत, भक्तीसंगीत तथा शास्त्रीय नृत्य में बहुत बडा योगदान रहा है | असम के लोकसंगीत में प्रयुक्त होने वाले Assamese folk instruments, Assamese Traditional instruments या संगीत वाद्य यंत्र कौनसे है इसके बारे में हम आगे जानेंगे |

Assamese musical instruments

1. बांसुरी ( Flute ) / बाही ( Baanhi ): 

                               Assamese musical instrument Bahi जिसे वेणू, बांसुरी, Flute कहा जाता है | लगभग भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्यो कें लोकसंगीत में बांसुरी का इस्तेमाल होता है | बांसुरी यह एक ऐसा सुषिर वाद्य यंत्र है की इसकी धून में हर कोई खो जाता है | बिहू नृत्य में बांसुरी बजाई जाती है जिसे वहा बाही ( Baanhi ) के नाम से जाना जाता है | बांसुरी अपने वर्ग का एक ऐसा एकेला वाद्य है, जिसे आदिवासी, लोक और शास्त्रीय संगीत में प्रचलित होने का गौरव प्राप्त है |

2. पेपा ( Pepa ) : 

          पेपा यह असम का क्षेत्र विशेष सुषिर वाद्य है जो कि, बिहू इस लोकनृत्य में बजाया जाता है | इसमें लगभग 20 सेंटीमीटर की लंबी दो नलिया होती है जो रंध्र के पास आपस में जुड़ी होती है | एक सिरे पर एक पत्ती अथवा रीढ़ होती है, जो या तो बांस की नली से ढकी होती है अथवा खुली रहती है | यह सिरा मुंह में रखा जाता है और आवाज पैदा करने के लिए इसमें फूंक मारी जाती है प्रत्येक नली के दूसरे सिरे पर भैंस का सींग अथवा धातु का चोंगा भोंपू की तरह काम में लाने के लिए लगा होता है |

3. गोगोना ( Gogona ): 

                             Assamese musical instrument Gogona यह एक मुख विणा है जो कि घन वाद्य इस वाद्य श्रेणी में आता है यह वाद्य बिहू नृत्य में बजाया जाता है। यह वाद्य बास के टुकड़े से बना होता है जिसका एक सिरा ठोस होता है और दूसरा सिरा गोगोना की विशिष्ट ध्वनि का उत्सर्जन करने के लिए मुक्त होता है । ठोस सिरा दांतों से पकड़ कर मुक्त सिरे पर ध्वनि निकालने के लिए उंगलियों से बार-बार मारा जाता है । How many types of Gogona are there?  आकार के अनुसार गोगोना के दो प्रकार होते हैं ( Two tyeps of Gogona) एक रामधन गोगोना ( Ramdhan Gogona ) और दूसरा लाहौरी गोगोना ( Lahori Gogona ) | रामधन गोगोना पुरुष कलाकार बजाते हैं यह लाहौरी गोगोना से छोटा, चौड़ा और थोड़ा भारी होता है । पुरुष कलाकार यह गोगोना अपने कमर पर बांधे कपड़े की पट्टी या सिर पर बांधे गामुसा में रखते हैं । लाहौरी गोगोना यह रामधन गोगोना से लंबा होता है | महिला कलाकार के हाथों में फिट होने के लिए इसे बनाया जाता है इसलिए यह थोड़ा पतला होता है बिहू नृत्य करते समय महिला कलाकार जिसे आम तौर पर अपनी बालों की गांठ में बांधती है। गोगोना यह वाद्य यंत्र उत्तर पूर्वी राज्यों में लगभग सभी प्रदेशो में बजाया जाता है किन्तु हर प्रदेश तथा जनजाति में उसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे की, त्रिपुरा की चकमा जाती के लोग इसे ‘हँगेरोंग’, त्रिपुरा व् मेघालय की गैरों जातिया इसे ‘गौंगिना’, मेघालय की ख़ासी जाति में इसे ‘कामेंग’, नागा जाति में इसे ‘भीवो या बीडो’, सेमा नागा जाति में इसे ‘एहवू’, अरुणाचल की आडीस जाति में इसे ‘गुगा टिग्नम’ भी कहते है |  

4. टोका ( Toka ) : 

            टोका यह एक प्रकार का घन वाद्य यंत्र है जो बांबू से बना होता है। इसकी लंबाई कम से कम 1 मीटर  होती है । इसके एक सिरे को साबुत छोड़कर शेष भाग में लंबी दरार बनाई जाती है और शेष सिरे में हैंडल बनाया जाता है। टोका यह वाद्य एक हाथ में पकड़ कर दूसरे हाथ पर या तो खड़खड़ाया जाता है या फिर पीटा जाता है , जिस कारण दरार वाले हिस्से एक दूसरे से टकराने से इससे ध्वनि उत्पन्न होती है । असम की बोडो जनजाति में इसे थोरका ( Thorka ) के नाम से भी जाना जाता है ।

5. Xutuli हुंतुली / सुतुली : 

                Xutuli musical instrument यह आसाम का सुषिर वाद्य यंत्र है जिसमे पशु-पक्षियो की ध्वनी निकाली जाती है | असम के अलग-अलग समुदाय में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है |  Xutuli वाद्य बांबू के निचले ठोस हिस्से से या चिकनी मिट्टी से बनाया जाता है | Xutuli वाद्य बिहू नृत्य में लडकी और लडके बजाते है लेकीन jeng bihu और bihuwati नृत्यो का महत्वपूर्ण वाद्य Xutuli है जिसे लडकीयों द्वारा बजाया जाता है |

6. आसामी ढोल / बिहू ढोल ( Assam dhol / Bihu Dhol ) :  

   

Assam dhol / Bihu Dhol )

(photo: Simantha Tamuli )


                 आसामी ढोल
यह असम के संगीत में महत्वपूर्ण वाद्य है | ढोल असम के सभी त्योहारों का महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है, ढोल के बीना बिहू नृत्य अधुरा है | ढोल का बाया लकड़ी की डंडी से बजाया जाता है तथा चाटी हाथों की उंगलियों से बजायी जाति है | विभिन्न प्रकार के ढोल विभिन्न अवसरों पर विभिन्न नाम से जाने जाते है जैसे की, बिहू ढोल, ढेपा ढोल, ओजा ढोल, खाम्री ढोल, बोर ढोल इ.

7.  खोल ( khol ) : 

           खोल यह एक मृदंग जैसा दो मुखी अवनद्ध वाद्य है | असम के भक्ति संगीत, लोकसंगीत तथा सत्रिया नृत्य में खोल बजाया जाता है | भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों में खोल भक्ति संगीत तथा नृत्य में प्रयुक्त होता है |

8. बोरताल ( Bortaal ) : 

               बोरताल यह एक धातु निर्मित घन वाद्य है, यह धातु की जोड़ी आपस में टकराकर ध्वनि उत्पन्न की जाति है किन्तु यह बोरताल सामान्य मंजीरा दे दस गुना बड़ी होती है | यह एक झांज के समान होती है | असम के शास्त्रीय नृत्य सत्रीय में भी यह बजायी जाति है |

       इन वाद्यों के अलावा नगाड़ी, शहनाई, मोहरी, दोतारा, सरिंदा, खूंटी ताल, जैसे अन्य वाद्यों का भी प्रचलन देखनो को मिलता है |

                    हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत संभालना हम सब लोगों का परम कर्तव्य है | यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो जरुर शेअर कीजिए, आपकी प्रतिक्रिया हमें अवश्य दे |

  

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